धौलाधार की पहाड़ियों पर
बर्फ़ झरी है बरसों बाद
और कई सौ मील दूर
स्मृतियों में
पहाड़ जीवंत हो उठे हैं
पहाड़ जीवंत हो उठे हैं
कहीं भी जाओ
पीछा नहीं छोड़ते पहाड़
संग चलते हैं
जीवन भर
संग चलते हैं
जीवन भर
वही हिम
वही उजास
वही उजास
वही उल्लास
स्मृतियों में उदात्त पहाड़
स्मृतियों में धवल चांदनी
स्मृतियों में निरभ्र शांति
मैं संतृप्त रहने की चेष्टा में हूं
मैं संतृप्त रहने की चेष्टा में हूं
बहुत सुन्दर और भावमयी प्रस्तुति..
ReplyDeleteकैलाश जी, धन्यवाद.
Deleteकहीं भी जाओ
ReplyDeleteपीछा नहीं छोड़ते पहाड़
संग चलते हैं जीवन भर
................साधु-साधु
आभार आपका.
Deleteजब तक स्मृतियाँ हैं संतृ्प्तता की कोई गुंजाइश नहीं लगती मुझे तो।
ReplyDeleteदेवेन्द्र जी, कभी-कभी स्मृतियां काफी होती हैं संतृप्त करने के लिए...
Deleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|
ReplyDeleteआपका भी धन्यवाद.
DeleteAha !
ReplyDeleteवाह ...बहुत खूब लिखा है आपने
ReplyDeleteशुक्रिया... रेखा.
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद.
Deleteअद्भुत! इस सफ़ेद चादर को ओढ़ मैं भी खो जाऊं स्मृतियों के आकाश में...
ReplyDeleteमाधवी, जब भी आपकी कविताएं पढ़ती हूं, मन शांत हो जाता है, जीवन उल्लास से भर जाता है...
The positivity of the white charm has indeed charmed me as well because of your magical words!!
Thank you so much for appreciating! It encourages me more!!
Deleteबेहतरीन भावो का सुन्दर संगम्।
ReplyDeleteशुक्रिया, वंदना जी.
Deleteit,s very nice ....words as well as pic. which gives the feeling of nature's wonder ...!
ReplyDeleteThank you so much!
Deleteमाधवी जी, आप बहुत अच्छा लिखती हैं ..इस रचना के भाव भी बहुत ही अच्छे हैं ..आप तक पहुंचने का श्रेय आदरणीय रश्मि जी को जाता है ब्लॉग बुलेटिन पर आपका परिचय पढ़ा अच्छा लगा बधाई के साथ शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद आपका और रश्मि जी का. अनन्त शुभकामनाएं स्वीकारें.
Deleteऐसा अच्छा और भी लिखो.... अनवरत चलती रहे ये साधना...
ReplyDeleteआमीन!
Deleteकिस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आपका.
ReplyDeleteहिम पहाड़ी सुंदरता का वर्णन अद्वितीय लिखा है आपने , हमारे राजस्थान की सुनहरी मिट्टी सी सौंधी महक बिखेर दी । बहुत खूब
ReplyDeleteआभार.
Deleteबहुत खूब! कहने को पर्वत स्थावर हैं लेकिन ...
ReplyDelete...लेकिन चलते हैं साथ. बहुत शुक्रिया!
Deleteदिल करता कि अभी इस जगह कि तरफ की और रवाना हो जाऊं और अच्छी अच्छी कविताएँ लिखता रहूँ, बस लिखता रहूँ |
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