'सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल, ज़िंदगानी फिर कहां!' घुमक्कड़ी जीवन का मूल-मंत्र। कला में अभिरुचि। इससे इतर विश्व सिनेमा, साहित्य और फ़ोटोग्राफी में मन रमता है। ब्लॉग के ज़रिए हमख़याल लोगों से राब्ता कायम करने की कोशिश है। यह ब्लॉग पूजनीय परदादा पंडित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी को समर्पित है। लेखन शौक है और कोशिश जारी...
किस ने कहा मौत कविता की हुई है ? कवि का कोई अंश मर गया है !
ReplyDeleteगहरे भाव।
ReplyDeleteबेहतरीन रचना।
अच्छा लेखन के लिए आपको शुभकामनाएं।
दर्दनाक हादसा.
ReplyDeleteबहुत अच्छी अभिव्यक्ति है...बधाई...।
ReplyDeleteआभार, आप सभी का..
ReplyDeleteएक अच्छी अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteधन्यवाद प्रदीप जी !
ReplyDeleteMatchless !!
ReplyDeleteregards,
A.K.Singh
बहुत खूब...
ReplyDeleteमैंने भी लिखी है "एक अजन्मी कविता "...
शायद हर रचनाकार लिखता होगा...