उन्माद एक ऐसा देश है
यहीं कहीं तुम्हारे आस-पास ही
जिसके कगार सदा अंधियारे रहते हैं
पर जब कभी निराशा की नौका
तुम्हें ठेलकर अंधेरे कगारों तक ले जाती है
तो उन कगारों पर तैनात पहरेदार
पहले तो तुम्हें निर्वसन होने का आदेश देते हैं
तुम कपड़े उतार देते हो
तो वे कहते हैं, अपना मांस भी उघाड़ो
और तुम त्वचा उघेड़कर
अपना मांस भी उघाड़ देते हो
फिर वे कहते हैं कि हडिड्यां तक उघाड़ दो
और तब तुम अपना मांस नोच-नोच फेंकने लगते हो
और नोचते-फेंकते चले जाते हो
जब तक कि हड्डियां पूरी तरह नंगी नहीं हो जातीं
उन्माद के इस देश का तो एकमात्र नियम है उन्मुक्तता
और वे उन्मुक्त हो
न केवल तुम्हारा शरीर
बल्कि आत्मा तक कुतर-कुतर खा डालते हैं
पर फिर भी
मैं कहूंगी कि
यदि तुम कभी उस अंधेरे कगार तक जा ही पहुंचो
तो फिर लौटना मत
कभी मत लौटना।
-कमला दास
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