'सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल, ज़िंदगानी फिर कहां!' घुमक्कड़ी जीवन का मूल-मंत्र। कला में अभिरुचि। इससे इतर विश्व सिनेमा, साहित्य और फ़ोटोग्राफी में मन रमता है। ब्लॉग के ज़रिए हमख़याल लोगों से राब्ता कायम करने की कोशिश है। यह ब्लॉग पूजनीय परदादा पंडित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी को समर्पित है। लेखन शौक है और कोशिश जारी...
कुछ दिन पहले ही अज्ञेय की एक किताब हाथ लगी थी, तब पहली बार पढ़ा था इन्हें..
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