Tuesday, March 15, 2011

और अपना एक कमरा

कुछ लिखने का मन है
और लिखने के लिए जो असबाब चाहिए
सब है मेरे पास

आराम से इतराता हुआ दिन
विचारावेश से घिरा दिमाग
उथल-पुथल भरा एक दिल

कलम,
कागज़
ज़हीन
ख़याल
बेशुमार दौलत शब्दों की 
अदद आराम कुर्सी भी
 

और मन:स्थिति 
कि लिख सकूं कुछ
अच्छा, अनवरत
 

सब है मेरे पास 
नहीं है बस
ढेर सारा पैस

और एक
अपना कमरा
-माधवी

(वर्जीनिया वूल्फ को समर्पित)

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