कुछ लिखने का मन है
और लिखने के लिए जो असबाब चाहिए
सब है मेरे पास
सब है मेरे पास
आराम से इतराता हुआ दिन
विचारावेश से घिरा दिमाग
उथल-पुथल भरा एक दिल
कलम, कागज़
ज़हीन ख़याल
कलम, कागज़
ज़हीन ख़याल
बेशुमार दौलत शब्दों की
अदद आराम कुर्सी भी
और मन:स्थिति
कि लिख सकूं कुछ
अदद आराम कुर्सी भी
और मन:स्थिति
कि लिख सकूं कुछ
अच्छा, अनवरत
सब है मेरे पास
नहीं है बस
ढेर सारा पैसा
और एक
अपना कमरा।
सब है मेरे पास
नहीं है बस
ढेर सारा पैसा
और एक
अपना कमरा।
excellent...
ReplyDeletelove it!
ReplyDeleteThanks Amit-Nivedita & Pratul !
ReplyDeletebahut hi arthpoornn kavita... dhanyawad woolf ko yaad karaane ke liye....kuldeep kunal
ReplyDeleteShukriya Kuldeep !
ReplyDeleteलिखते रहना सबसे जरूरी ..........
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