मैं राष्ट्रीय नाट्य
विद्यालय, दिल्ली में
थिएटर की पढ़ाई कर रहा था। फ़िल्म ‘सरफ़रोश’ की कास्टिंग के लिए कुछ लोग आए हुए थे। फ़िल्म में मेरे एक बैचमेट को
लिया जाना था, जो उस वक़्त वहां मौजूद नहीं था। कास्टिंग डायरेक्टर ने मुझे देखा
और पूछा, “एक छोटा-सा रोल है, करोगे?”
मैंने हां कर दी। मुंबई में ऑडिशन दिया और चुन लिया गया। मुश्किल से एक मिनट का
सीन था, लेकिन यह नहीं पता था कि उसमें आमिर ख़ान मेरे साथ होंगे। मैं पहली बार
कैमरा फेस कर रहा था। आमिर सामने थे और मैं बहुत घबराया हुआ था। इससे पहले मैंने कभी
किसी स्टार को नहीं देखा था। शूट के बाद मैं दिल्ली लौट गया।
थिएटर की पढ़ाई ख़त्म करने
के बाद साल 2000 में मैं मुंबई आया। काफ़ी समय तक कोई काम नहीं मिला। टेलीविज़न
में भी काम ढूंढने की कोशिश की, लेकिन छोटे-मोटे रोल ही मिले। धीरे-धीरे टेलीविज़न
में भी काम मिलना बंद हो गया क्योंकि सबको ‘गुड लुक्स’ वाला एक्टर चाहिए था। 2003 में ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ में छोटा-सा रोल मिला। फिर ‘ब्लैक फ्राइडे’ में तीन-चार सीन करने को मिले। फ़िल्म में मेरे काम की तारीफ़ हुई, और
लोगों को लगा कि मैं ठीक-ठाक एक्टर हूं। लेकिन हालात फिर भी नहीं बदले। मैं काम के
लिए दर-दर भटकता रहा। एकाध सीन के लिए बुलावा आ जाता था। रोज़ी-रोटी चलाना मुश्किल
हो गया था। दोस्तों से उधार लेकर और एक्टिंग वर्कशॉप करके जैसे-तैसे गुज़ारा चल
रहा था। तीन-चार साल यूं ही निकल गए। इस बीच घर लौट जाने का ख़याल भी आया, लेकिन वापस
क्या मुंह लेकर जाता... अब यहीं, मुंबई में ही जीना-मरना था।
फिर ‘न्यूयॉर्क’ और ‘पीपली लाइव’ फ़िल्में आईं, जिनमें अच्छे रोल करने का मौक़ा मिला। ‘कहानी’ के बाद इंडस्ट्री में मेरी मौजूदगी दर्ज हुई
और ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ से गाड़ी पटरी
पर आ गई।
मैं बीते हुए कल को याद
नहीं करना चाहता। बड़ी हताशा और संघर्ष से भरे दिन थे वो! भविष्य से बहुत उम्मीदे हैं। आने वाली फ़िल्मों में ‘चित्तागोंग’, ‘तलाश’, ‘आत्मा’, ‘मिस लवली’, ‘मानसून शूटआउट’, ‘लायर डाइस’ और केतन मेहता की ‘माउन्टेन
मैन’ प्रमुख हैं।
-नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी से बातचीत पर आधारित
(अमर उजाला, मनोरंजन परिशिष्ट के 'फर्स्ट ब्रेक' कॉलम में 7 अक्तूबर 2012 को प्रकाशित)
(अमर उजाला, मनोरंजन परिशिष्ट के 'फर्स्ट ब्रेक' कॉलम में 7 अक्तूबर 2012 को प्रकाशित)
मैं इस कलाकार को वासेपुर ..........में देखी थी और जानना चाहती थी इसके बारे में और अभी मुझे इसके बारे में जानकारी मिली ..........आभार
ReplyDeleteमेरे घर , बुढाना जिला मु0नगर के मूल निवासी हैं नवाजुदीन , नम्बरदार के परिवार से सम्बन्ध रखते हैं काफी रसूखदार परिवार से और अपनी जडो से जुडे हैं । एक दो बार मुलाकात हुई है क्योंकि ये मुम्बई में काफी सालो से हैं बाकी परिवार सब बुढाना में ही है
ReplyDeleteआपकी जानकारी और साक्षात्कार के लिये भी आभार