Monday, October 15, 2012

आज तक नहीं दिया कोई ऑडिशन-अपरा मेहता

मैं गुजराती नाटकों में काम करती थी। थिएटर की वजह से मुझे विपुल शाह निर्देशित टेलीविज़न सीरियल एक महल हो सपनों का में काम करने का ऑफर मिला। यह सीरियल हिन्दी और गुजराती- दोनों भाषाओं में डब होता था। साल 1997 से 2000 तक इसके एक हज़ार एपिसोड प्रसारित हुए। सीरियल देखकर एकता कपूर ने मुझे क्योंकि सास भी कभी बहू थी में काम करने के लिए बुलाया। वो सीरियल भी सुपरहिट रहा।
फ़िल्मों में मेरी शुरुआत चोरी-चोरी, चुपके-चुपकेसे हुई। फ़िल्म में एक ही सीन था, और मुझे वेश्या का रोल निभाना था। पहले मैं सोच में पड़ गई कि यह रोल करना चाहिए या नहीं, लेकिन जब पता चला कि मुझे सलमान ख़ान के साथ काम करना है, और रोल भी अहम है तो मैं तैयार हो गई। किसी वजह से फ़िल्म रिलीज़ होने में देरी हो रही थी। इधर क्योंकि सास भी कभी बहू थी में मेरे किरदार को ख़ूब वाहवाही मिल रही थी और मैं चाह रही थी कि वो फ़िल्म रिलीज़ न ही हो तो अच्छा है। लेकिन फ़िल्म आई और मेरा रोल पसंद किया गया। संजय लीला भंसाली देवदासबना रहे थे। उन्होंने मुझे फोन करके कहा, एक छोटा-सा किरदार है, करोगी?” मुझे हैरानी हुई कि संजय लीला भंसाली ख़ुद फोन करके मुझे काम के लिए बुला रहे हैं। मिलने गई तो उन्होंने पूछा कि नृत्य आता है? मैंने कहा, हां, मैंने कथक सीखा है। इस तरह मुझे माधुरी दीक्षित की बड़ी आपा का किरदार निभाने का मौक़ा मिला। देवदास के बाद फ़राह ख़ान की फ़िल्म तीस मार ख़ान में काम किया।
मेरा आज तक कोई ऑडिशन नहीं हुआ, न ही मैंने अपना पोर्टफोलियो बनाया है। लेकिन काम की कोई कमी नहीं है। फ़िल्मों में जब तक बहुत अच्छे रोल नहीं मिलते, नहीं करूंगी। फिलहाल टेलीविज़न में पूरी तरह व्यस्त हूं। गोलमाल है भाई सब गोलमाल है के अलावा क्या हुआ तेरा वादाऔर बड़े अच्छे लगते हैं सीरियल कर रही हूं। 
-अपरा मेहता से बातचीत पर आधारित 

(अमर उजाला, मनोरंजन परिशिष्ट के 'फर्स्ट ब्रेक' कॉलम में 14 अक्तूबर 2012 को प्रकाशित)

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