फ़िल्मों में गाने का ब्रेक मुझे जगजीत सिंह ने दिया था। इससे पहले
मैं कोलकाता में होटलों में गाया करता था और शो वगैरह करता था। एक बार मुंबई के ‘वेस्टर्न आउटडोर स्टूडियो’ में किशोर दा के गाने का कवर वर्ज़न गा रहा था।
वहां जगजीत सिंह भी आए हुए थे। उन्होंने मुझे गाते हुए सुना और पास बुलाकर कहा, ‘तुम्हारी आवाज़ अच्छी है।’ उन्होंने मुझे अपने घर पर बुलाया। मैं उनके घर
पहुंचा और वो अपनी गाड़ी में बिठाकर मुझे ताड़देव के ‘फेमस रिकॉर्डिंग स्टूडियो’ में लेकर गए।
मुझे ‘आंधियां’ फ़िल्म के लिए एक गाना गाना था। मैं पहली बार
किसी फ़िल्म के लिए गा रहा था। मैं
ख़ुश था और डरा हुआ भी। जगजीत जी ने मेरा बहुत हौसला बढ़ाया। गाने की रिकॉर्डिंग
के बाद उन्होंने मुझे सीने से लगाकर मेहनताने के रूप में 1500 रुपए दिए।
जगजीत सिंह ने मुझे कल्याणजी-आनंदजी से मिलवाया। मेरी आवाज़ उन्हें
काफी पसंद आई। कल्याणजी ने मुझे फ़िल्म ‘जादूगर’ में गाने का मौक़ा दिया, जिसमें अमिताभ बच्चन के
लिए मैंने प्लेबैक गाना गाया। इसके बाद कोलकाता से मुंबई शिफ्ट हो गया और कल्याणजी-आनंदजी
भाई के साथ जुड़ गया। मैंने उनके साथ कई शो किए। कल्याणजी-आनंदजी ने ही मुझे मेरा
नाम केदारनाथ भट्टाचार्य से बदलकर कुमार शानू रखने की सलाह दी थी।
इसके बाद का सफ़र लगातार जारी रहा। ‘आशिक़ी’, ‘साजन’, ‘फूल और
कांटे’, ‘दिल है
कि मानता नहीं’, ‘सड़क’, ‘दीवाना’, ‘बाज़ीगर’, ‘हम हैं
राही प्यार के’, ‘कभी
हां, कभी ना’, ‘1942- ए
लव स्टोरी’ जैसी फ़िल्में कीं और श्रोताओं का अथाह प्यार
मिलता गया।
संगीत की प्रेरणा मुझे पिताजी से मिली है। उन्हें और किशोर दा को अपना
आदर्श मानता हूं। अब तक 17,000 से ज़्यादा गाने गा चुका हूं। हाल ही ‘राउडी राठौर’ फ़िल्म
के लिए गाया है। इसके अलावा मेरी एक एलबम ‘के तेरे
बिन’ भी रिलीज़ हुई है।
-कुमार शानू से बातचीत पर आधारित
(अमर उजाला, मनोरंजन परिशिष्ट के 'फर्स्ट ब्रेक' कॉलम में 30 सितंबर 2012 को प्रकाशित)
(अमर उजाला, मनोरंजन परिशिष्ट के 'फर्स्ट ब्रेक' कॉलम में 30 सितंबर 2012 को प्रकाशित)
आपके ब्लॉग पर आकर भला लगा..सुरीलापन परोस रखा है आपने.महान परदादा की क़ाबिल प्रपौत्री से राब्ता ख़ुशी दे रहा है.
ReplyDeleteकुमार सानू बेहतरीन गायक हैं,परिदृश्य से क्यों गुम हैं,आश्चर्य होता है....लेकिन 17000 गानों की बात अतिरंजित लगती है...
कुमार शानू के बारे में बहुत सुन्दर ज्ञानवर्धन जानकारी प्रस्तुति के लिए आभार
ReplyDeleteआप चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी के परिवार से हैं यह जानकारी बहुत ख़ुशी हुयी .. उनकी कहानियां स्कूल में पढ़ी था घर में भी उनकी कहानियों का संकलन है बहुत ही अच्छा लिखते थे वे... ..
ReplyDeleteसादर
वाह... अच्छा लगा कुमार शानू के बारे में इतना कुछ जानकर....
ReplyDeleteinteresting...
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