यात्रा और आत्महत्या से पहले
जहां तक हो सके
छोड़ना चाहिए सब साफ़
दर्ज है
यात्रा की किसी किताब में
आत्महत्या कायर करता है
यात्रा साहसी का काम है
और साफ़ है सब-कुछ
पहले ही
एक अनंत यात्रा से पहले
एक और यात्रा
एक लंबी यात्रा से पहले
एक छोटी यात्रा
मन कब का गया
श्यामदेश की यात्रा पर
देह सामान बटोर रही है।
('जनसंदेश टाइम्स' में 1 अप्रैल 2012 को प्रकाशित)
जहां तक हो सके
छोड़ना चाहिए सब साफ़
दर्ज है
यात्रा की किसी किताब में
आत्महत्या कायर करता है
यात्रा साहसी का काम है
और साफ़ है सब-कुछ
पहले ही
एक अनंत यात्रा से पहले
एक और यात्रा
एक लंबी यात्रा से पहले
एक छोटी यात्रा
मन कब का गया
श्यामदेश की यात्रा पर
देह सामान बटोर रही है।
('जनसंदेश टाइम्स' में 1 अप्रैल 2012 को प्रकाशित)
गहन अभिवयक्ति......
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
ReplyDeleteएक अनंत यात्रा से पहले
ReplyDeleteएक और यात्रा
एक लंबी यात्रा से पहले
एक छोटी यात्रा ... हाथ में कुछ लम्हें उग आते हैं
बढ़िया प्रस्तुति...
ReplyDeleteआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 06-02-2012 को सोमवारीय चर्चामंच पर भी होगी। सूचनार्थ
जब आप कमेंट्स लौटती नहीं तो कमेंट्स देने से फायदा क्या..
ReplyDeleteनई रचना ...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
...फुहार....: कितने हसीन है आप.....
गहन अभिवयक्ति....
ReplyDeleteमन कब का गया
ReplyDeleteश्यामदेश की यात्रा पर
देह सामान बटोर रही है।
बहुत सुंदर.......
इस कविता के भाव, लय और अर्थ काफ़ी पसंद आए। बिल्कुल नए अंदाज़ में आपने एक भावपूरित रचना लिखी है।...गहन अभिवयक्ति...
ReplyDeleteशाश्वत की काव्यात्मक अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteमन कब का गया
ReplyDeleteश्यामदेश की यात्रा पर
देह सामान बटोर रही है।
सुन्दर पंक्तियाँ थोड़ा हटके नए बिम्बों से लैस .
यात्रा का मार्मिक वर्णन साथ ही अध्यात्मिक कसौटी पर भी खरी ....बिलकुल लाजबाब रचना |
ReplyDeleteएक अनंत यात्रा से पहले
ReplyDeleteएक और यात्रा
एक लंबी यात्रा से पहले
एक छोटी यात्रा
sundar bhaavyavkati..
सुन्दर ,गहन अभियक्ति
ReplyDeleteएक सार्थक यात्रा,दूसरी निरर्थक....वह यात्रा भी नहीं है !
ReplyDeleteबहुत ही गहरी रचना .. जीवन के सत्य को कुछ शब्दों में बाँध दिया है ...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर भाव संयोजन से सुसजित गहन अभिव्यक्ति ...समय मिले कभी तो ज़रूर आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
ReplyDeletehttp://mhare-anubhav.blogspot.com/
umdaa evem saahsik kavita... naya dekh lena aapka.. purane dharatal par taaqat hai aapke lekhan ki...
ReplyDeleteएकदम साफ़ बात, क्रिस्टल क्लीयर!
ReplyDeleteApne bahut deep soch likha hai..
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