बहती जाए है
इंतज़ार की बयार
आती होगी
बारिश की फुहार
चंदा की बाट जैसे
जोहे कोई चकोर
व्याकुल, अधीर भटकूं मैं
इस ओर, कभी उस छोर
ओर-छोर भटकते
छिटकते-बिलखते
गिरते हैं छींटे कुछ
तन पर, मन पर
इक अच्छी ख़बर और
बारिश छमाछम
दोनों का
होने लगा है अब
टूट कर इंतज़ार।
-माधवी
wah.................yash..
ReplyDeleteशुक्रिया :)
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