इस क्षण मुझे लगता है
शायद समूचे ब्रह्माण्ड में
कोई भी मेरे बारे में नहीं सोच रहा है
केवल मैं ही अपने बारे में सोच रहा हूं
और अगर मैं अभी मर जाऊं
तो कोई भी
मेरे बारे में नहीं सोचेगा
मैं भी नहीं
जैसे जब मैं सो जाता हूं
यहीं से शुरू होता है वह पाताल
मैं खुद अपना सहारा हूं
और उसे ही छीन लेता हूं
खुद से
मैं अनुपस्थितियों से हर चीज पर
परदा खेंचने में मदद करता हूं
शायद इसीलिये
जब आप किसी के बारे में सोचते हैं
आप उसे बचा रहे होते हैं
-रॉबेर्तो हुआर्रोज़ की कविता, उनके चित्र के साथ
achhi hai.........................yash
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