Monday, June 7, 2010

सुना है तेरा दिल आबाद है

मैं एक स्मृति हूं
बहुत दूर से आई हूं

सबकी आंख से बचते हुए
अपने बदन को चुराते हुए

सुना है तेरा दिल आबाद है
तेरे दिल का कोई कोना
मेरे लिए तो होगा।

-अमृता प्रीतम की आत्मकथा 'रसीदी टिकट' से एक नज़्म, 
उनके चित्र के साथ

3 comments:

  1. मैडम जी
    इत्तफाक से आपका ब्लॉग देखा। रसीदी टिकट बहुत पहले मैंने पढ़ी थी उसकी यादें ताजा हो गई।

    श्याम सुंदर

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  2. अमृता जी की 'रसीदी टिकट' ही सबसे पहले पढ़ने का सुअवसर मिला था, इसके बाद मैं उनकी दीवानी हो गई.

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  3. hmmmmmmmmm..............yash

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