सैकड़ों सोई हुई कब्रों के बीच
वह अकेली कब्र थी
जो ज़िन्दा थी
कोई अभी-अभी गया था
एक ताज़ा फूलों का गुच्छा रखकर
कल के मुरझाए हुए फूलों की
बगल में
एक लाल फूल के नीचे
मैट्रो का एक पीला-सा
टिकट भी पड़ा था
उतना ही ताज़ा
मेरी गाइड ने हंसते हुए कहा
वापसी का टिकट है
कोई पुरानी मित्र रख गई होगी
कि नींद से उठो
तो आ जाना
मुझे लगा
अस्तित्व का यह भी एक रंग है
न होने के बाद
होते यदि सार्त्र
क्या कहते इस पर
सोचता हुआ होटल
लौट रहा था मैं
-केदारनाथ सिंह
(Picture : 'The Kiss' by Gustav Klimt)
वह अकेली कब्र थी
जो ज़िन्दा थी
कोई अभी-अभी गया था
एक ताज़ा फूलों का गुच्छा रखकर
कल के मुरझाए हुए फूलों की
बगल में
एक लाल फूल के नीचे
मैट्रो का एक पीला-सा
टिकट भी पड़ा था
उतना ही ताज़ा
मेरी गाइड ने हंसते हुए कहा
वापसी का टिकट है
कोई पुरानी मित्र रख गई होगी
कि नींद से उठो
तो आ जाना
मुझे लगा
अस्तित्व का यह भी एक रंग है
न होने के बाद
होते यदि सार्त्र
क्या कहते इस पर
सोचता हुआ होटल
लौट रहा था मैं
-केदारनाथ सिंह
(Picture : 'The Kiss' by Gustav Klimt)
भावपूर्ण रचना .....उत्कृष्ट
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