पंजाब से कॉलेज की
पढ़ाई पूरी करके मैं मुंबई आई और यहां ‘स्टारडस्ट एकेडमी’
में एक्टिंग के कोर्स में दाख़िला लिया। कोर्स के बाद लोगों से
मिलने-जुलने का सिलसिला शुरू हुआ। उस वक़्त मैं जितने भी लोगों से मिली, सब
यही
कहते कि तुम हमारी फ़िल्म कर रही हो। मुझे लगा कि मुझे एक-साथ कई फ़िल्मों
का ऑफर मिल रहा है। लेकिन यह बात बाद में समझ आई कि फ़िल्म इंडस्ट्री में
चलन है कि कोई किसी को न नहीं बोलता। इसलिए
जब फ़िल्म ‘सुरक्षा’ में काम करने का ऑफर मिला, तब भी मुझे यक़ीन
नहीं हुआ कि मैं वो फ़िल्म कर रही हूं। लेकिन जल्द ही सब-कुछ तय हुआ और मुझे पहली ही
फ़िल्म में सुनील शेट्टी और सैफ़ अली ख़ान के साथ काम करने का मौक़ा मिला।
मेरा पहला दृश्य सुनील
शेट्टी के साथ था। मैं बहुत नर्वस थी। घबराहट के कारण एक जगह बैठ नहीं पा रही थी।
सुनील शेट्टी ने निर्देशक से कहा था, ‘आपकी हीरोइन बहुत
प्यारी है, लेकिन वो हमेशा खड़ी रहती है!’ शूटिंग के दौरान
सुनील ने मेरा बहुत साथ दिया। हमारा पहला सीन जुहू बीच पर फ़िल्माया गया, जिसमें
सुनील शेट्टी मुझे खींचते हुए समुद्र-तट पर ले जाते हैं। एक्शन मास्टर ने मुझसे लैग-पैड
पहनने को कहा ताकि चोट न लगे। नई होने के कारण मैं पूरे जोश में थी और मैंने बिना
पैड के ही शॉट दिया। लेकिन इस दौरान मेरे घुटने बुरी तरह छिल गए। सुनील ने मुझे बड़े
प्यार से समझाया कि हम एक्टिंग कर रहे हैं और इसे एक्टिंग की तरह ही लो। फिर मुझे
पैड पहनाए गए और शूट पूरा हुआ।
जब मेरी शुरुआत
हुई, उस वक़्त मल्टीस्टारर फ़िल्मों का दौर था। ‘सुरक्षा’ के बाद ‘अग्निसाक्षी’,
‘वीरगति’ और ‘ट्रेन टू पाकिस्तान’ में काम किया।
जैसी गंभीर फ़िल्में मैं करना चाहती थी, उनमें काम करने का अवसर भी मिला। मैं
ख़ुशकिस्मत हूं कि मुझ पर ठेठ हीरोइन का ठप्पा नहीं लगा। मुझे अलग-अलग किस्म के
रोल मिलते रहे हैं। फ़िल्म में सबसे अच्छा किरदार मुझे दिया जाता है, शायद इसीलिए मैं
दर्शकों के दिलों में अलग जगह बना पाई हूं। मेरी आने वाली फ़िल्में हैं... ‘ज़िला ग़ाज़ियाबाद’, ‘भाग मिल्खा भाग’, ‘लुटेरा’ और ‘स्पेशल
छब्बीस’।
-दिव्या दत्ता से बातचीत पर आधारित
(अमर उजाला, मनोरंजन परिशिष्ट के 'फर्स्ट ब्रेक' कॉलम में 2 दिसम्बर 2012 को प्रकाशित)
(अमर उजाला, मनोरंजन परिशिष्ट के 'फर्स्ट ब्रेक' कॉलम में 2 दिसम्बर 2012 को प्रकाशित)
बहुत -बहुत बधाई और शुभकामनायें |पोस्ट को पढना बहुत अच्छा लगा |www.sunaharikalamse.blogspot.com
ReplyDeleteबच्चन जी की कविताएँ समय हो तो पढियेगा |