उन दिनों मैं स्कूल में था, जब ब्रूस स्प्रिंगस्टीन परफॉर्म करने के लिए भारत आए हुए थे। मैं अपनी बहनों और दोस्तों के
साथ उन्हें सुनने के लिए गया, और उसके बाद मैंने तय कर लिया कि मुझे क्या करना है।
अगले दिन से मैंने जेबख़र्च से पैसे बचाने शुरू कर दिए ताकि एक गिटार ख़रीद सकूं। कॉलेज
के बाद मैंने ‘काफ़िर’ नाम से एक बैंड
बनाया। कुछ कारणों की वजह से बैंड बंद करना पड़ा, लेकिन मैं संगीत के प्रति
समर्पित था और मुझे मालूम था कि मुझे संगीत में ही करियर बनाना है। फिर मैंने
जिंगल बनाने शुरू कर दिए।
प्रोड्यूसर और तबला वादक तलवीन सिंह से एक
बार मुंबई में मुलाक़ात हुई थी। तलवीन सिंह के ज़रिए मुझे कैज़ाद गुस्ताद की
फ़िल्म ‘बूम’ में पहली बार गाने
का मौक़ा मिला। इस बीच मेरी पहली एलबम ‘रब्बी’ की रिकॉर्डिंग भी
चल रही थी। साल 2004 में ‘रब्बी’ रिलीज़ हुई। एलबम
में नौ गाने थे जिन्हें लोगों ने ख़ूब पसंद किया, ख़ासकर ‘बुल्ला की जाणां
मैं कौन’ को। ‘रब्बी’ की लाखों प्रतियां
बिकीं और मैं सफलता के शिखर पर पहुंच गया। उसके बाद फ़िल्म ‘डेल्ही हाइट्स’ में बतौर संगीत
निर्देशक काम किया। फ़िल्म में सोनू निगम, सोनू कक्कड़ और कैलाश खेर से गीत गवाये।
कुछ गाने ख़ुद भी गाए। फिर दूसरी एलबम की तैयारी में जुट गया। लाइव कन्सर्ट भी
किए। मैं कम लेकिन अच्छा काम करने में यक़ीन रखता हूं। वही गाने गाता हूं, जो दिल को
छूते हैं।
मेरी दूसरी एलबम ‘आवेंगी जा नहीं’ इटली के नामी
प्रोड्यूसर माउरो पगानी ने प्रोड्यूस की थी। इसमें ज़्यादातर गाने कन्या भ्रूणहत्या और बेटियों के अधिकारों जैसे सामाजिक विषयों पर आधारित
हैं। तीसरी
एलबम ‘थ्री’ की मिक्सिंग
ग्रैमी अवॉर्ड विजेता गुस्तावो सेलिस ने की है। हाल में यश चोपड़ा की फ़िल्म ‘जब तक है जान’ में ‘झल्ला’ गाया है, जो लोगों
को बहुत पसंद आ रहा है। यह गाना गुलज़ार साहब ने लिखा है और संगीत ए आर रहमान का
है।
-रब्बी शेरगिल से बातचीत पर आधारित
(अमर उजाला, मनोरंजन परिशिष्ट के 'फर्स्ट ब्रेक' कॉलम में 11 नवम्बर 2012 को प्रकाशित)
(अमर उजाला, मनोरंजन परिशिष्ट के 'फर्स्ट ब्रेक' कॉलम में 11 नवम्बर 2012 को प्रकाशित)
आपको दिवाली की शुभकामनाएं । आपकी इस खूबसूरत प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 13/11/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप का हार्दिक स्वागत है
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