Monday, April 23, 2012

अमिताभ में अ है, नकल में न है

(अमिताभ बच्चन की हिट फ़िल्मों 'डॉन' और 'अग्निपथ' के रीमेक ख़ास सफ़ल नहीं कहे जाएंगे। अब उनकी सुपरहिट फ़िल्म 'ज़ंजीर' का रीमेक बनाए जाने की ख़बर है। क्या यह ओरिजनल फ़िल्म जैसा जादू जगा पाएगा! एक विश्लेषण...)
सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने हाल में अपने ब्लॉग पर लिखा है कि फ़िल्म ज़ंजीर का रीमेक उनके लिए एक कॉम्प्लिमेंट है। अमिताभ इस फ़िल्म को दोबारा बनाए जाने को लेकर ख़ुश हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि रीमेक को लेकर उनकी कोई व्यक्तिगत राय नहीं है। अमिताभ कहते हैं कि, मैंने ज़ंजीर में बतौर कलाकार काम किया और मुझे इसका मेहनताना मिला, बस। फ़िल्म के रीमेक पर मेरी राय लेना ठीक नहीं होगा। मैं केवल अपनी शुभकामनाएं दे सकता हूं, और उम्मीद करता हूं कि यह रीमेक सफल हो।
निर्माता-निर्देशक प्रकाश मेहरा ने 1973 में अमिताभ को लेकर सुपरहिट ज़ंजीर बनाई थी। एंग्री यंगमैन की भूमिका में अमिताभ का जादू 39 बरस बाद भी बरकरार है। अमिताभ के अलावा एंग्री यंगमैन’ की छवि में किसी और को सोच पाना आज भी मुश्किल लगता है। 
नई ज़ंजीर से बंधेंगे दर्शक?
नज़रें ज़ंजीर के रीमेक पर टिकी हैं, जिसे बना रहे हैं निर्देशक अपूर्व लखिया। अपूर्व इससे पहले मुंबई से आया मेरा दोस्त, मिशन इस्तांबुल और शूटआउट एट लोखंडवाला जैसी फ़िल्मों का निर्देशन कर चुके हैं। दक्षिण के सुपरस्टार चिरंजीवी के पुत्र राम चरण तेजा मुख्य भूमिका में हैं। राम, तेलुगु सिनेमा के लोकप्रिय सितारे हैं। हिन्दी में यह उनकी पहली फ़िल्म है। जया के किरदार में प्रियंका चोपड़ा नज़र आएंगी। प्राण का शेर ख़ान वाला किरदार अर्जुन रामपाल निभाएंगे, वहीं प्रकाश राज और माही गिल भी अहम भूमिकाओं में हैं।
नहीं चला रीमेक का जादू
रीमेक बनाने वालों की पहली पसंद अमिताभ की फ़िल्में रही हैं। लेकिन अमिताभ की फ़िल्मों के रीमेक को दर्शकों ने हाथो-हाथ नहीं लिया क्योंकि वे अमिताभ के लॉयल फैन हैं। 
डॉन के सुपर-डुपर हिट गाने खाई के पान बनारस वाला में शाहरुख़ ख़ान अमिताभ के झटकों-लटकों के सामने फीके नज़र आए। डॉन के रीमेक के लिए शाहरुख ने भले जी-तोड़ मेहनत की, लेकिन अमिताभ तो अमिताभ ठहरे। उनके जूते में किसी और हीरो का फिट होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है।
अग्निपथ के रीमेक में  विजय दीनानाथ चौहान बनकर ऋतिक ने थोड़ी-बहुत तारीफ़ बटोरी, लेकिन अमिताभ का क़द नहीं छू सके। अमिताभ ने अग्निपथ के लिए अपनी आवाज़ पर ख़ास तवज्जो दी थी। दर्शकों के लिए इस फ़िल्म में अमिताभ का रूप अनोखा और अद्भुत था। अग्निपथ के बाद आज तक मिमिक्री आर्टिस्ट अमिताभ के विजय दीनानाथ चौहान वाले किरदार को अभिनीत कर तालियां बटोरते हैं। पर उसके उलट, रिमेक वो जलवा नहीं बिखेर पाई जो अग्निपथ ने बिखेरा था। नई अग्निपथआंशिक रूप से बेशक सफ़ल रही हो लेकिन फ़िल्म का एक भी संवाद याद रखने लायक नहीं लगा। 
फ़िल्म शोले के रीमेक का ज़िक्र बेमानी है। कहां शोले के गाने व संवाद, और कहां रामगोपाल वर्मा की बेहूदी आग’! ख़ुद रामगोपाल ट्विटर पर इसकी धज्जियां उड़ाते नज़र आए। शोले के जय को आग के बब्बन सिंह के रूप में दर्शक पचा नहीं पाए। यहां तक कि स्वयं अमिताभ भी आग को बुझने से नहीं रोक पाए। बेचारे दर्शकों के दिल जलाकर राख़ कर दिए रामू की आगने। और बॉक्स ऑफिस पर तो पानी भी नहीं मांगा फ़िल्म ने।  
नायक नहीं, महानायक
अमिताभ बच्चन को सदी का महानायक यूं ही नहीं कहते। अमिताभ उस दौर के नायक हैं जब बड़ा पर्दा लोगों के लिए बड़ी बात थी। अमिताभ की फ़िल्में लार्जर दैन लाइफ थीं। अपने प्रिय नायक के सुख-दुख के भागीदार दर्शक थियेटर से बाहर निकलकर भी बाहर नहीं आ पाते थे। वे देर तक मंत्रमुग्ध रहते थे। अमिताभ के निभाए जानदार किरदार ज़हन में रहते और शानदार डायलॉग ज़बान पर। अब हर हफ़्ते दो-चार नई फ़िल्में आती हैं और चली जाती हैं। न कहानी का पता चलता है, न किरदार का। ऐसे में रीमेक बनाने का रिस्क कहां तक ठीक है, यह दर्शक ही तय करेंगे। 
टीवी पर भी बेजोड़ 
फ़िल्में तो फ़िल्में, टीवी पर भी अमिताभ के सामने सारे सुपरस्टार फेल रहे। कौन बनेगा करोड़पति’ पर अमिताभ शो का आग़ाज़ करते थे और उधर गली-मोहल्ले सुनसान हो जाते थे। घंटे भर के लिए लोग टेलीविज़न सेट से ऐसे जा चिपकते जैसे गुड़ से मक्खियां। दिमाग पर ज़ोर डालने पर ही याद आता है कि कभी शाहरुख़ ख़ान ने भी केबीसी को होस्ट किया था। अमिताभ का जलवा ही ऐसा है, वे पूरी तरह हावी हो जाते हैं दर्शकों पर। उस दौर में एक टीवी कार्यक्रम में बतौर होस्ट आए गोविंदा भी दर्शकों को पसंद नहीं आए। सलमान ख़ान ने भी 'दस का दम' में थोड़ा दम भरा लेकिन टीवी पर बिग बी की शोहरत की बराबरी अभी तक नहीं कर पाए हैं।
बहरहाल ज़ंजीर पार्ट-टू को शुभकामनाएं। रीमेक फ़िल्मों ने अब तक निराश किया है। लेकिन उम्मीद पर दुनिया कायम है और बच्चन साहब की तरह हम भी यही उम्मीद कर सकते हैं कि नई ज़ंजीर को कामयाबी मिले।
-माधवी

(अमर उजाला के मनोरंजन परिशिष्ट में 22 अप्रैल 2012 को प्रकाशित)

3 comments:

  1. वाकई............
    अमिताभ का कोई जवाब नहीं.............
    एक वही हैं जिन्हें एक साथ तीन पीढियां पसंद करती हैं.....

    बढ़िया लेख.

    अनु

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  2. माधवी जी, अमिताभ तो मेरे सबसे पसंदीदा कलाकार हैं और उनकी जगह कोई नहीं ले सकता...अमिताभ जितने अच्छे कलाकार हैं उतने अच्छे इंसान भी हैं...इसलिए उनके प्रशंसकों की भी कमी नहीं है..
    यहाँ पर आपने जितनी फिल्मों का जिक्र किया है उनमे से मुझे 'अग्निपथ' ही बस ठीक लगी...ऐसा नहीं की वो फिल्म मुझे बहुत अच्छी लगी..लेकिन ये बात पसंद आई की फिल्म की ट्रीटमेंट थोड़ी अलग थी..ये बात तो सभी पहले से जानते थे की हृतिक कभी अमिताभ की बराबरी नहीं कर पायेंगे, लेकिन फिर भी मुझे उनका अभिनय अच्छा लगा..

    लेकिन सबसे ज्यादा मुझे निराशा जिस फिल्म से हुई थी वो थी फरहान अख्तर की 'डॉन'..फरहान मुझे बहुत पसंद हैं लेकिन उन्होंने डॉन 2 में तो बेहद निराश किया...मेरे लिए तो डॉन 2 को झेलना नामुमकिन था..उनकी पहली वाली डॉन थोड़ी ठीक भी थी लेकिन उसमे भी 'विजय' वाला किरदार में शाहरुख ने ओवरएक्टिंग का ऐसा डोज डाला था की झेलना नामुमकिन हो गया उस किरदार को..
    अपूर्व लखिया की फ़िल्में मुझे ठीक लगीं अब तक की, तो उम्मीद है की जंजीर भी बुरी तो नहीं ही होगी..आगे देखिये क्या होता है..

    बाकी आपके आलेख से मैं सहमत हूँ..बहुत अच्छा आलेख..

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  3. अमिताभ तो मेरे भी सबसे पसंदीदा कलाकार हैं सुंदर प्रस्तुति,..बहुत सुंदर आलेख,..

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: गजल.....

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