'सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल, ज़िंदगानी फिर कहां!' घुमक्कड़ी जीवन का मूल-मंत्र। कला में अभिरुचि। इससे इतर विश्व सिनेमा, साहित्य और फ़ोटोग्राफी में मन रमता है। ब्लॉग के ज़रिए हमख़याल लोगों से राब्ता कायम करने की कोशिश है। यह ब्लॉग पूजनीय परदादा पंडित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी जी को समर्पित है। लेखन शौक है और कोशिश जारी...
सुन्दर
ReplyDeletebhaavmayi rachna...
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ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति |
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाई ||
बहुत कुछ कहती रचना....
ReplyDeleteगहन अभिव्यक्ति ....
ReplyDeleteगहन भावों को सरलता से पिरोती सुंदर रचना...
ReplyDeleteshandar prastiti
ReplyDeleteगहन भाव्।
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