(नाज़िम हिकमत की कविता जो उन्होंने
वेरा तुल्याकोवा के लिए लिखी. वेरा,
नाज़िम की पांचवीं और अंतिम पत्नी थीं.)
वेरा तुल्याकोवा के लिए लिखी. वेरा,
नाज़िम की पांचवीं और अंतिम पत्नी थीं.)
आओ!- उसने कहा
और ठहरो!- उसने कहा
और मुस्कराओ!- उसने कहा
और मर जाओ!- उसने कहा।
मैं आया
मैं ठहरा
मैं मुस्कराया
और मैं मर गया।
बहुत बहुत बधाई ||
ReplyDeleteआप जब भी नई पोस्ट लाते हैं |
नया उत्साह जगाते हैं ||
बहुत ही सुन्दर....
ReplyDeleteवाह! क्या बात है...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, धन्यवाद|
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