आने वाले कल के ख़याल
बेचैन करते हैं
आज को
कल की परवाह
उठाती है सर
और बौना-सा बन आज
दुबक जाता है किसी
कोने में जाकर
कल की तदबीरें
बेमानी हैं आज के लिए
वजूद लिए अपना आज
भटकता है
दर-ब-दर
कल के चक्र में
फंसकर आज
तोड़ता है दम
थक-हार कर
कल का इंतज़ार?
गुज़र जाएंगे आज
कल का इंतज़ार?
गुज़र जाएंगे आज
कल, परसों
और फिर बरसों
लेकिन
कल नहीं आएगा।
कल नहीं आएगा।
-माधवी
very well written... Kal kuchh nahin hai, jo kuchh hai aaj hai.. aaj achchha hai toh zindagi khoobsoorat hai
ReplyDeleteजी शुक्रिया !
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