(पेशानी पर हल्की सलवटें, चेहरे पर साफगोई, सूती कुर्ता-पायजामा, और आंखों में चमक.. साल 2007 की शुरुआत में डॉक्टर बिनायक सेन से मुलाक़ात हुई थी, रायपुर, छत्तीसगढ़ में। उस वक़्त यह भान नहीं था कि मैं इतने बड़े समाजसेवी और डॉक्टर से मिल रही हूं। यह भी नहीं पता था कि मानव अधिकारों की रक्षा में जुटे इस मसीहा को एक दिन सलाख़ों के पीछे डाल दिया जाएगा। बस, उन्हें यह कहते हुए सुना था कि नक़्सली समस्या शांतिपूर्ण तरीक़े से सुलझ सकती है- बातचीत और समझौते की बिनह पर। यह कहकर वे मुस्कुराए और चल दिए। सौम्य-सी वो मुस्कान याद आ रही है। और खून खौल रहा है यह सुनकर कि डॉक्टर सेन को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है। यह जानकर कि उन पर देशद्रोह का आरोप है।)
आज का दिन
काला दिन है
एक और मसीह को
घसीट ले जाया गया है सलीब तक
इशारा मिलते ही ठोक दी जाएंगी
उसकी हथेलियों पर कीलें
ताकि उठें न वो हाथ कभी
ग़रीब की मदद के लिए
ठोक दी जाएंगी कीलें
उसके पैरों पर
ताकि चल न सके वह दूर तक
किसी मक़सद के साथ
एक और कील ठोकी जाएगी
गले में
ताकि ख़ामोश पड़े आवाज़
और
चिर निद्रा में चला जाए वो
आज का दिन काला ही नहीं
शर्मनाक भी है।
-माधवी
... gambheer maslaa !!!
ReplyDeleteसेन की गांधी से तुलना ज्यादा ठीक लगती है, मसीह से नहीं।
ReplyDeleteतुलना मसीह से हो या गांधी से, सरोकार वही है। चिंता भी वही।
ReplyDeletekisi ki tulna kisi se karna theek nahi lagta.. har koi apne apni jagah hai..
ReplyDeleteLyrics Mantra
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