Tuesday, May 25, 2010

अमरकंटक से लौटते हुए

तेज़ रफ़्तार कार में
अमरकंटक से लौटते हुए 
अचानक मिली ख़बर 

'दंतेवाड़ा में जेल-ब्रेक 
303 क़ैदी फ़रार
ज़्यादातर नक्सली' 

रूचिर जी के 
'फोनो' के बीच
कौंधते रहे कई विचार 
उल्टे-सीधे, अनर्गल


कुछ देर बाद
उनके चेहरे पर लौटे 
ख़ुशी और संतोष के 
मिले-जुले आसार 

मेरे होंठों पर भी 
आ गई मुस्कराहट 
और हादसे को भूल 
फिर से शामिल हो गई 
मैं उस तिकड़ी में। 
-माधवी

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