(प्रिय कविताओं में से एक नरेश सक्सेना की यह कविता, साथ में एडवर्ड मुंच
का चित्र 'मेलनकली'.)
जैसे चिड़ियों की उड़ान में
शामिल होते हैं पेड़
क्या कविताएं होंगी मुसीबत में हमारे साथ?
जैसे युद्ध में काम आए
सैनिक की वर्दी और शस्त्रों के साथ
ख़ून में डूबी मिलती है उसके बच्चे की तस्वीर
क्या कोई पंक्ति डूबेगी ख़ून में?
जैसे चिड़ियों की उड़ान में
शामिल होते हैं पेड़
मुसीबत के वक़्त कौन सी कविताएं होंगी हमारे साथ
लड़ाई के लिए उठे हाथों में
कौन से शब्द होंगे?
का चित्र 'मेलनकली'.)
जैसे चिड़ियों की उड़ान में
शामिल होते हैं पेड़
क्या कविताएं होंगी मुसीबत में हमारे साथ?
जैसे युद्ध में काम आए
सैनिक की वर्दी और शस्त्रों के साथ
ख़ून में डूबी मिलती है उसके बच्चे की तस्वीर
क्या कोई पंक्ति डूबेगी ख़ून में?
जैसे चिड़ियों की उड़ान में
शामिल होते हैं पेड़
मुसीबत के वक़्त कौन सी कविताएं होंगी हमारे साथ
लड़ाई के लिए उठे हाथों में
कौन से शब्द होंगे?
व्यवस्था परिवर्तन के शब्द होंगे........बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteशब्द तो होंगे पर क्या पहुँच पाएंगे उन तक हाथ ...
ReplyDeleteबहुत प्रभावी रचना ...
अक्षय तृतीया की शुभकामना
ReplyDeleteआप गुलेरी जी की नातिन हैं आपके कलम को समर्पित
चिड़ियों के उड़ान में शामिल है शाख आसमां हरदम
खून और युद्ध का प्रेम से बैर रहे चलो न आगाज़ करें
ReplyDeleteमुसीबत में आत्म बल ही काम आता है
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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वर्तमान साहित्य के कविता विशेषांक में छपी थी। मुझे भी पसंद आई थी और याद रह गई थी।
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