मुझे बचपन से गाने
का शौक रहा है। मैं बिहार में मामा के घर जन्मा और वहीं पला-बढ़ा। गांव में लोगों
के दरवाज़ों से सटकर रेडियो सुना करता था। चार-पांच साल का था तो मेलों और मंदिरों
में गाना शुरू कर दिया। मेरी मां भुवनेश्वरी देवी झा भी गाया करती थीं। मां का गुण
और ईश्वर की देन कुछ ऐसी रही कि मैं जहां भी गाता, लोग ख़ूब पसंद करते। दसवीं करने
के बाद पिताजी ने एक मंत्री की सिफ़ारिश पर मुझे काठमांडू भेजा। वहां मैं ‘रेडियो नेपाल’ में मैथिली और नेपाली लोकगीत गाने लगा।
नेपाल में बतौर गायक कुछ पहचान बनने लगी। इस बीच नेपाली फ़िल्म ‘सिंदूर’ के लिए पहली बार प्लेबैक गाना गाया।
क़रीब आठ साल नेपाल में रहा। इस दौरान जब जहां अवसर मिलता, जाकर गाता। 1978 में
भारतीय दूतावास की तरफ़ से संगीत की स्कॉलरशिप मिली और मैं शास्त्रीय संगीत की
पढ़ाई के लिए मुंबई के भारतीय विद्या भवन आ गया।
संगीत की पढ़ाई के दौरान
कई अच्छे लोगों से मुलाक़ात हुई। 1980 में राजेश रोशन ने अपनी फ़िल्म ‘उन्नीस
बीस’ में मोहम्मद रफी के साथ गाने का मौक़ा दिया। गाने
के बोल थे- ‘मिल गया,
मिल गया, ढूंढ़ते थे जिसे मिल गया...’। फिर
कल्याणजी-आनंदजी ने मुझसे प्रकाश मेहरा की फ़िल्म ‘घुंघरू’ में गवाया। कुछेक और फ़िल्मों में भी गाया। सिलसिला चलता रहा, लेकिन जो
बात बननी चाहिए थी, वो नहीं बनी। इस तरह 10 साल बीत गए। मुझे लगा कि हिन्दी
फ़िल्मों में नाम कमाना मेरे लिए मुमकिन नहीं है। तभी नासिर हुसैन की फ़िल्म ‘क़यामत से क़यामत तक’ आई। निर्देशक
मंसूर ख़ान को नई आवाज़ चाहिए थी। फ़िल्म में संगीत आनंद-मिलिंद का था, जो
चित्रगुप्त जी के पुत्र हैं। चित्रगुप्त जी भी बिहार से थे और मैं उनके घर आया-जाया
करता था। उनके कहने पर मुझे ‘क़यामत से क़यामत
तक’ में गाने का मौका मिला। मैंने चार गाने गाए। लोगों को सभी गाने बेहद पसंद आए। उसके बाद मेरे पास गानों का
अंबार लग गया।
एक किसान का बेटा
होने के कारण मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं इतना बड़ा मुक़ाम हासिल
कर पाऊंगा। श्रोताओं के प्यार और भगवान की कृपा से तीन बार नेशनल अवॉर्ड और पांच
बार फ़िल्मफेयर अवॉर्ड मिल चुके हैं। 2009 में भारत सरकार की तरफ़ से पद्मश्री से
सम्मानित किया जा चुका हूं।
-उदित नारायण से बातचीत पर आधारित
(अमर उजाला, मनोरंजन परिशिष्ट के 'फर्स्ट ब्रेक' कॉलम में 4 नवम्बर 2012 को प्रकाशित)
-उदित नारायण से बातचीत पर आधारित
(अमर उजाला, मनोरंजन परिशिष्ट के 'फर्स्ट ब्रेक' कॉलम में 4 नवम्बर 2012 को प्रकाशित)
waah....:)
ReplyDeleteबढ़िया पोस्ट ...:)
ReplyDeleteUdit ji ke baare me rochak jankari mili
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteआपकी इस ख़ूबसूरत प्रविष्टि को कल दिनांक 05-11-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1054 पर लिंक किया जा रहा है। सादर सूचनार्थ
यादों को झुरमुट से निकला सुन्दर संस्मरण ...
ReplyDeletesundar prastuti
ReplyDeleteउदित नारायणँ से साक्षात्कार करवाने के लिए आभार!
ReplyDeletelata ji se ek baar naye gayako ke baare me puch gaya to unka kehna tha ki udit sabse natural singer hai
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mera mat hai ki 'pahadi'awaaz hai