Wednesday, February 16, 2011

तैर रही थी वो

 
पतझर का था आरम्भ
और तैर रही थी वो 
अपने जीवन के पतझर में 

पीले पत्ते-सी
और उनमुक्त।
-कमला दास 

(चित्र: कमला दास)

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