Sunday, October 31, 2010

नीले समंदर में मोती-सा मॉरिशस

(अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिण पश्चिम और हिन्द महासागर के मध्य में एक छोटा-सा द्वीप है मॉरिशस। नीले पानी की चादर... हरियाली से लिपटे पहाड़... ख़ूबसूरत समुद्र तट और दूर तक फैली सफेद चमकती रेत... इस द्वीप को देखकर लगता है जैसे कुदरत ख़ुद यहां आ बसी हो। 45 किलोमीटर चौड़ा और 65 किलोमीटर लंबा यह द्वीप इतना ख़ूबसूरत है कि यहां बार-बार जाने का मन करता है.. आपको भी लिए चलते हैं मॉरिशस की सैर पर...)

यह मेरी पहली विदेश यात्रा थी और मैं जल्द-से-जल्द मॉरिशस पहुंचना चाहती थी। मुंबई से सवा छह घंटे की फ्लाइट के बाद हम मॉरीशस के सर शिवसागर रामगुलाम हवाई अड्डे पर उतरे। डोडो की धरती पर क़दम रखते ही नीले अंबर, दिलक़श मौसम व ताज़ा हवा के झोंके ने हमारा स्वागत किया। डोडो मॉरिशस का राष्ट्रीय पक्षी है जो विलुप्त हो चुका है। 
मॉरिशस आने के लिए पहले वीज़ा लेने की ज़रुरत नहीं है। मॉरिशस हवाई अड्डे पर ही वीज़ा जारी किया जाता है। वीज़ा से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद हमने बैल मार इलाक़े के लिए टैक्सी ली। मॉरिशस के पूर्व में स्थित है बैल मार, जो अपने शानदार होटलों और ख़ूबसूरत समुद्र तटों के लिए मशहूर है। मनी एक्सचेंज ऑफिस में हमने अमरीकी डॉलर के बदले मॉरिशियन रुपए लिए। मॉरिशस की करंसी रुपया है जिसकी कीमत भारतीय रुपए से डेढ़ गुना अधिक है। समुद्र तट के किनारे खुली सड़क पर दौड़ती हुई टैक्सी कुछ ही देर में हमें होटल एंबर लेकर आई। होटल पहुंचते ही वेलकम ड्रिंक और ताज़ा फूलों के गुलदस्ते ने हमारी सारी थकान गायब कर दी। 
कुछ देर सुस्ताने के बाद हम बीच पर जा पहुंचे। वो कोई आम बीच नहीं बल्कि होटल का प्राइवेट बीच था। साफ-सुथरे और ख़ूबसूरत बीच पर पहुंचकर लगा जैसे हम किसी शहंशाह से कम नहीं थे। सुहावना मौसम, नीला-हरा पानी, सफ़ेद नर्म रेत और उस पर धूप-स्नान करते सैलानी... इस नज़ारे का लुत्फ़ लेते-लेते मैं मॉरिशस के ख़यालों में खो गई।
सुबह फोन की घंटी बजने पर नींद खुली। फोन पर रूना की आवाज़ सुनकर मैं फ़ौरन उठकर तैयार हुई। रूना ट्रेवल गाईड थी जो हमें मॉरिशस की सैर कराने वाली थी। जिस टैक्सी में हम सवार हुए, उसमें कुछ यूरोपीय सैलानी और एक नवविवाहित भारतीय जोड़ा था। वो जोड़ा हनीमून के लिए लखनऊ से यहां आया था। हमवतन व ख़ुशमिजाज़ जोड़े से जल्द दोस्ती हो गई, जो आज भी क़ायम है। 
मॉरिशस में घूमने-फिरने के लिए टैक्सी अच्छा विकल्प है। हर होटल के बाहर टैक्सी आसानी से मिल जाती है लेकिन एडवांस में टैक्सी बुक न कराएं। यह महंगा पड़ सकता है। कहीं जाना हो तो टैक्सी वालों से उसी समय मोल-भाव करना ठीक है।
बहुरंगी संस्कृति का देश
मॉरिशस पर फ्रेंच संस्कृति का गहरा असर है। फ्रेंच के अलावा अंग्रेज़ी, अफ्रीकी और भारतीय संस्कृति की झलक मिलती है। 17वीं शताब्दी तक मॉरिशस एक गुमनाम द्वीप था। लंबे अरसे तक पुर्तगाली, फ्रांसिसी और ब्रिटिश शासन के अधीन रहने के बाद 12 मार्च 1968 को मॉरिशस ने आज़ादी की सांस ली। मॉरिशस की राजभाषा क्रियोल (काफी-कुछ फ्रेंच से मिलती हुई खिचड़ी भाषा) है। क्रियोल के बाद फ्रेंच और अंग्रेजी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषाएं हैं। ख़ास बात यह है कि मॉरिशस में क़रीब 48 फ़ीसदी लोग भारतीय मूल के हैं जो हिन्दी और भोजपुरी ठीक से बोल-समझ लेते हैं। टेलीविज़न चैनलों में ज़्यादातर फ्रेंच चैनल हैं। बॉलीवुड की फ़िल्में यहां रिलीज़ होती हैं। हिन्दी फ़िल्मों के अलावा हिन्दी गाने भी लोग ख़ूब पसंद करते हैं। स्थानीय रेडियो चैनलों पर कई कार्यक्रम हिन्दी में प्रसारित किए जाते हैं। टैक्सी में किशोर कुमार के गाने सुनते हुए हम सेंट्रल मॉरिशस के क्योरपाइप इलाक़े की ओर जा रहे थे। बहुत छोटी थी जब दूरदर्शन पर 'स्टोन ब्वॉय' नाम का प्रोग्राम आता था। 'स्टोन ब्वॉय' की पृष्ठभूमि मॉरिशस थी, और उसकी शूटिंग यहीं एक पहाड़ी पर हुई थी। क्योरपाइप से गुज़रते हुए उस पहाड़ी को देखने का मौक़ा मिला तो बचपन की यादें बरबस ताज़ा हो गईं। 
क्योरपाइप ख़रीदारी के लिए अच्छी जगह है। यहां कई ड्यूटी-फ्री दुकानें हैं जहां से आप विदेशी सामान ख़रीद सकते हैं। क्योरपाइप में सबसे बड़ा आकर्षण है त्रू ऑ सर्फ (Trou-aux-Cerfs)... जो एक सुप्त ज्वालामुखी है।
हिन्दू धर्म का परिचायक द्वीप
सेंट्रल मॉरिशस के पहाड़ी इलाक़े में है ग्रांड बेसिन। ग्रांड बेसिन में शिव मंदिर और गंगा तालाब है। मंदिर से कई रोचक कथाएं जुड़ी हैं। कहते हैं भगवान शिव और पार्वती जब पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे थे तो शिव को एक ख़ूबसूरत द्वीप दिखाई दिया। द्वीप पर उतरते हुए शिव का संतुलन बिगड़ा जिससे उनके शीश पर विराजमान गंगा की कुछ बूंदें नीचे गिर गईं। यह मॉरिशस द्वीप था जहां बूंदें गिरने से एक छोटा तालाब बन गया। गंगा क्रोधित हुईं। इस पर शिव ने गंगा से कहा कि भारत में तुम्हारे आस-पास रहने वाले लोग इस द्वीप पर आकर बसेंगे और तुम्हारी पूजा करेंगे। यह जानकारी दिलचस्प है क्योंकि मॉरिशस में रहने वाले ज़्यादातर हिन्दू भारत के बिहार प्रदेश से संबंध रखते हैं। 
मॉरिशस के कैलेंडर में शिवरात्रि का दिन महत्वपूर्ण है। इस दिन भारतीय मूल के लोग ग्रांड बेसिन में पूजा-पाठ करते हैं। गंगा तालाब से कुछ ही दूरी पर है शिव की 108 फुट ऊंची मूर्ति, जो कांसे की है। इतनी ख़ूबसूरत मूर्ति को देखकर भी मन नहीं भर रहा था। उधर हमारे साथी चेमेरल (Chamarel) जाने के लिए तैयार खड़े थे सो उन्हें और इंतज़ार न कराते हुए हम उनके साथ हो लिए। चेमेरल, मॉरिशस के पश्चिमी हिस्से में छोटा-सा गांव है। यहां अफ्रीकी मूल के लोग रहते हैं जिनके पूर्वजों को अफ्रीका के मोज़ाम्बिक इलाक़े से दास बनाकर लाया गया था। चेमेरल में आप मॉरिशस की असल ज़िंदग़ी से वाकिफ़ हो सकते हैं। यहां जंगल के बीचों-बीच एक वॉटरफॉल भी है जहां जाकर लगता है जैसे हम किसी दूसरे ही लोक में पहुंच गए हों। मॉरिशस में एक और बेहतरीन जगह जाने का मौक़ा मिला... सेवन कलर्ड अर्थ यानि सात रंग की धरती पर। लाल, पीली, काली, हरी, नीली, भूरी और सफेद रंग की मिट्टी एक-साथ देखकर हैरानी हुई। ऐसा लगा जैसे वहां किसी ने होली खेली हो। लेकिन वो होली के रंग नहीं बल्कि ज्वालामुखी की जमी हुई राख थी। राख में खनिज की मात्रा ज़्यादा होने के कारण ज़मीन रंग-बिरंगी दिखती है। सेवन कलर्ड अर्थ को देखने के लिए सुबह का वक़्त सबसे अच्छा है क्योंकि सूरज की किरणों में इसके इन्द्रधनुषी रंग और भी चमकीले लगते हैं। 
शाम होते ही मॉरिशस में सब-कुछ वीरान हो जाता है। कमोबेश सभी दुकानें 6 या 7 बजे तक बंद हो जाती हैं। सूरज ढलने लगा तो ‘जैसा देश वैसा भेष’ की कहावत पर अमल करते हुए हम भी होटल लौट गए
सैर बोटेनिकल गार्डन, फोर्ट एडलेड व ओपन चर्च की 
अगले दिन हमें पेम्पलमोसे (Pamplemousses) जाना था। पेम्पलमोसे मॉरिशस का सबसे घनी आबादी वाला इलाका है। यहीं 25 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैला है सर शिवसागर रामगुलाम बोटेनिकल गार्डन। इसका नाम मॉरिशस के पहले प्रधानमंत्री सर शिवसागर रामगुलाम के सम्मान में रखा गया है। यहां आपको पानी में उगने वाली क्वीन विक्टोरिया लिली और पाम की ढेरों प्रजातियां देखने को मिलेंगी। श्रीलंका का टेलीपॉट पाम भी, जो पूरे जीवन में सिर्फ़ एक बार फल देता है। रॉयल पाम, बॉटल पाम, राफिया पाम, फीवर और शुगर पाम... एक ही जगह पर पाम की ढेरों क़िस्में देखकर आप हैरान ज़रूर होंगे। और 200 साल पुराना बुद्ध वृक्ष देखकर तो आप कह उठेंगे... वाह!
प्रकृति के साथ कुछ वक़्त बिताने के बाद हमने सिटाडेल (Citadel) की तरफ कूच किया। सिटाडेल ऊंचाई पर है। यहां आप फोर्ट एडलेड देख सकते हैं। इस फोर्ट को अंग्रेज़ों ने सुरक्षा की दृष्टि से सन् 1835 में बनवाया था। यहां से मॉरिशस की राजधानी पोर्ट लुई (Port Louis) का विहंगम नज़ारा नज़र आता है। फोर्ट एडलेड से हम स्पेस नॉस्त्रा साल्व (Spes Nostra Salve) पहुंचे। यह एक ओपन चर्च है। फ़िल्म 'मुझसे शादी करोगी' की शूटिंग इसी चर्च में हुई थी।
पोर्ट लुई में एक शाम
चर्च में प्रार्थना के बाद हम राजधानी पोर्ट लुई पहुंचे। यह पोर्ट फ्रांस के राजा लुई 15वें के नाम पर है। पोर्ट लुई एक व्यापारिक केन्द्र है जहां कई शॉपिंग कॉम्प्लेक्स हैं। पोर्ट किनारे वॉटरफ्रंट है। यहां बड़े ब्रांडों की दुकानें, केसिनो, बार और कई अच्छे रेस्तरां हैं। मनोरंजन का दिल हुआ तो हम केसिनो में प्रवेश कर गए। शुरुआत में कुछ बाज़ियां जीतने के बाद 500 रुपए हारे तो चुपचाप वहां से बाहर आ गए। वॉटरफ्रंट के नज़दीक चाइना टाउन है, जहां घूमते हुए लगा जैसे चीन के किसी बाज़ार में घूम रहे हों।
पोर्ट लुई चहल-पहल भरा इलाक़ा है। यहां नाइट लाइफ अच्छी है लेकिन शॉपिंग काम्प्लेक्स अंधेरा होते ही बंद हो जाते हैं। आप नाइट लाइफ का मज़ा लेना चाहते हैं तो ग्रांड बे अच्छा विकल्प है। यह उत्तर मॉरिशस में है। यहां कई बड़े पब और डिस्कोथेक हैं जो रात भर खुले रहते हैं।
अपनेपन से भरे लोग
राजधानी में हसीन शाम बिताने के बाद हमने होटल के लिए टैक्सी ली। राजधानी को छोड़ दें तो पूरे मॉरिशस में ट्रैफिक काफी कम है। ट्रैफिक से जुड़े क़ायदों का यहां सख़्ती से पालन होता है। लोग सभ्य और नम्र हैं। हमारे टैक्सी ड्रायवर का नाम देवानंद था; 65 साल का पतला-दुबला लेकिन जोश से भरा इंसान। देवानंद अच्छी हिन्दी बोल रहा था। उसने बताया कि उसके पूर्वज भारतीय मूल के थे और उसकी दिली इच्छा है कि वह एक बार भारत ज़रूर आए। हमारा होटल लौटने का मन नहीं था, देवानंद शायद यह समझ गया और उसने हमें अपने घर चलने को कहा। देवानंद का घर मुझे किसी भारतीय घर जैसा ही लगा। घर के अहाते में छोटा-सा मंदिर था। दो मिनट बैठे कि गरमा-गरम कॉफी से हमारा स्वागत हुआ। कॉफी की चुस्कियों के साथ देवानंद के परिवार से हमने ख़ूब बातें कीं। मॉरिशस में गन्ने की खेती लोगों का मुख्य पेशा है। औसत कमाई अच्छी है। आम लोगों का रहन-सहन काफी अच्छा है। कुल मिलाकर, अफ्रीका की सबसे मज़बूत आर्थिक इकाइयों में से एक मॉरिशस, अमीर और महंगा देश है।
वॉटर-स्पोर्ट्स के लिए मशहूर
मॉरीशस में हमारा अगला दिन वॉटर स्पोर्ट्स के नाम रहा। वॉटर स्पोर्ट्स के लिए मॉरीशस बेशक एक बेहतरीन जगह है। पूर्वी तट पर इल ऑ सर्फ (Ile aux Cerfs) नाम का द्वीप इसके लिए मुफ़ीद है। प्वॉइंट मॉरिस से बोट के ज़रिए इल ऑ सर्फ बीच तक पहुंचते हैं।
यहां आप पूरा दिन बेतकल्लुफ़ होकर बिता सकते हैं लेकिन शाम ढलते ही लौटना होगा। इसलिए यहां जितनी जल्दी पहुंचेंगे, उतना ज़्यादा वक़्त बिता पाएंगे। दिन भर बीच पर पड़े-पड़े सुस्ताने का कोई मूड नहीं था सो मैंने पैरा-सेलिंग करना बेहतर समझा। 45 मिनट तक गहरे नीले समंदर के ऊपर आकाश में किसी बेफिक्र परिंदे की तरह उड़ना... ज़िंदग़ी के सबसे ख़ूबसूरत तजुर्बों में से एक है। मॉरिशस में वॉटर-स्पोर्ट्स महंगे हैं। लेकिन अपनी जेब और पसंद के मुताबिक आप स्कूबा डाइविंग, वॉटर-स्कीइंग या स्नॉर्क्लिंग जैसा कोई भी खेल चुन सकते हैं।
कब जाएं
मॉरिशस के मौसम में साल भर ख़ास तब्दीली नहीं होती लेकिन तेज़ धूप, गर्मी और उमस से बचने के लिए जुलाई से सितम्बर तक का समय उपयुक्त है। इस दौरान वहां हल्की ठंडक रहती है। दिसम्बर में भी मॉरिशस जाने का प्रोग्राम बना सकते हैं। मॉरिशस जैसे रंगीन देश में क्रिसमस व नए साल का स्वागत बेशक़ एक अच्छा तजुर्बा होगा।
क्या ख़रीदें
फ्लाक मॉरिशस का बड़ा बाज़ार है। यहां साप्ताहिक हाट लगता है। मज़े की बात है कि मॉरिशस में आप किसी भी दुकान से बीयर ख़रीद सकते हैं। गन्ने से बनी स्थानीय रम भी ज़रूर चखें। एक दुकानदार ने बताया कि यहां दूध का उत्पादन नहीं होता बल्कि दूसरे देशों से इसे आयात किया जाता है। मॉरिशस में जगह-जगह खोमचे वाले दिखे जो जंक फूड नहीं बल्कि अन्नानास, ऑलिव (जैतून) और एक स्थानीय फल बेच रहे थे। कम दाम में अच्छा स्वाद और सेहत- अगर आप भी इससे इत्तेफाक रखते हैं तो मॉरिशियन 10 रुपए में चटपटी चटनी में डूबे ये फल ज़रूर खाईए। फ्लाक में ऐसी कई दुकानें हैं जिन्हें भारतीय मूल के लोग चलाते हैं। लेटेस्ट हिन्दी और भोजपुरी फ़िल्मों की सीडी तो यहां जगह-जगह बिकती हैं। मॉरिशस से यादगार के तौर पर आप काफी कुछ ख़रीद सकते हैं जैसे... डोडो के प्रिंट वाली टी-शर्ट या स्थानीय कारीग़रों की बनाईं दूसरी चीज़ें। ये आपको किसी भी सूवेनियर शॉप से मिल जाएंगीं। अगर जेब भारी हो तो समुद्री जहाज़ों के मॉडल या फिर ड्यूटी फ्री सामान ख़रीद सकते हैं।
खाने-पीने के शौक़ीनों के लिए मॉरिशस अदद जगह है। आप समुद्री खाना पसंद करते हैं तो मॉरिशस में सब-कुछ मिलेगा... समुद्री मछलियां, झींगे, केकड़े, यहां तक कि सांप भी! शाकाहारी होने के कारण ये सब तो मैं नहीं खा पाई लेकिन कुछ दूसरे स्थानीय भोजन का ज़ायका ज़रूर लिया। ख़ासतौर से ढोलपुरी का। पतली चपाती पर दाल के साथ तरह-तरह की चटनी मिलाकर सर्व की जाती है ढोलपुरी यानि दालपुरी। मॉरिशस में रहने वाले हिन्दुस्तानी लोगों ने भारतीय संस्कृति, भाषा और खाने-पीने के तरीक़ों को काफी सहेजकर रखा है।
मॉरिशस में आख़िरी शाम
होटल लौटे तो पता चला कि कुछ स्थानीय कलाकार सेगा का प्रदर्शन करने वाले हैं। सेगा मॉरिशस की पारंपरिक नृत्य व गायन कला है। फ्रांसिसी शासन के दौरान जिन दासों को अफ्रीका से मॉरिशस लाया गया था, उन्होंने इस कला का यहां प्रचार किया। रंग-बिरंगे कपड़े पहने युवक-युवतियां जोड़े बनाकर सेगा नृत्य करते हैं। ढोल की थाप और स्थानीय वाद्य यंत्रों की धुन के बीच सेगा नृत्य उत्तेजक लगता है। मॉरीशस में इसका मज़ा लेना बिल्कुल न भूलें। 
खुले थियेटर में सेगा के शानदार प्रदर्शन व लज़ीज खाने का स्वाद लिए मैं होटल के कमरे में लौट आई। “स्वर्ग से पहले मॉरीशस की रचना हुई थी”... सामान पैक करते हुए अमेरीकी लेखक मार्क ट्वेन की यही पंक्ति मुझे बार-बार याद आ रही थी। मॉरिशस है ही इतना ख़ूबसूरत कि स्वर्ग बनाने के लिए बेशक़ इसकी नक़ल की गई होगी। 

(दैनिक जागरण के 'यात्रा' परिशिष्ट में 31 अक्तूबर 2010 को प्रकाशित)

Saturday, October 16, 2010

कुछ हाइकु

1.
सिमट गई
बर्फ की रजाई में
शरद ऋतु

2.

चला कोहरा
जाने किस दिशा में
लिए मन को

3.
पहन लिया
चिनार ने भी चोला
बसंत में

4.
मां का पहलू
जाड़े की धूप जैसा
नर्म-ओ-गर्म

5.
ठिठका हुआ
बादल उड़ गया
बरस कर

6.
चलता रहे
दरिया की तरह
जीवन चक्र 

(हिमाचल मित्र के ग्रीष्म अंक 2011 में प्रकाशित)

Friday, October 8, 2010

खुली हुई खिड़की

अंधेरा पसरा हुआ है
खिड़की के बाहर
घुप्प...

बियाबान है पूरी पहाड़ी
मद्धम एक लौ
दूर वीराने से निकल
खेल रही है आंख-मिचौली 

यहां-वहां भटक रही
नन्ही मशालों पर
जा अटकी हैं बोझिल नज़रें 
जाने किस तलाश में है 
टोली जुगनुओं की? 

बेसुर कुछ आवाज़ें
तिलचट्टे और झींगुर की
चीरे जा रही हैं
तलहटी में बिखरे सन्नाटे को 

टिमटिमाते तारों ने
ओढ़ लिया है बादलों का लिहाफ़
और
हवा के थपेड़ों से
झूलने लगा है कमरे से सटा 
देवदार का दरख़्त 

मैं खिड़की बंद कर लेती हूं
...
...
भीतर एक शोर था
सन्नाटे में डूबकर
शांत हो गया है जो।
-माधवी 

('लमही' के अप्रैल-जून 2011 अंक में प्रकाशित)
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...